Sunday, May 31, 2009

देश प्रेम

देश प्रेम से औत-प्रोत हो, एक बालक ने ललकारा,
जय हिंद और वंदे मातरम का नारा उसने हुंकारा।

भरी सभा में राष्ट्र गान का जब सबको आभास हुआ,
पढ़े लिखो की इस नगरी में , लोगो का अपमान हुआ।

उस सभा के ज्ञाता ने फ़िर इस बालक को समझाया,
और उसके बाल मन से बापू का जादू झदवया।

इन नाहक की बातो से किस का मतलब भरता है,
इस सिस्टम का हर पहिया बस पैसे से ही चलता है।

तुम भी बहती गंगा में अपना गमछा साफ़ करो,
कुछ और न बन सके तुमसे तो भारत का निर्माण करो।

बालक बोला अध्यापक से, तुम तो कुछ उल्टा पाठ पढ़ाआते हो,
अब से शिक्षा लूँगा उनसे, जो काम की बात बताते हो।

भारत माता की रक्षा पर तुमने व्यर्थ ही ज्ञान दिया,
और अपनी बातो से मेरा वक्त बरबाद किया।

बढ़ना है मुझको आगे, अपने सपने पूरे करने है,
रास्ता चाहे जो भी हो, मुझे हासिल लक्ष्य सभी करने है।

इस तरह बालक की दुविधा का अंत हुआ,
शामिल हुआ वो भीड़ में और नैतिकता का ध्वंस हुआ।


... सिद्धार्थ

2 comments:

  1. Zindagi bahut kuch sikhlaati hai!


    GBU
    Arti

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  2. @Arti,

    True!! Biggest teacher

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