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Friday, May 21, 2010

For Innocent lives who had a right to live

Spill the blood, Spill the blood,
It's so cheap, let's make a flood.

It's the poor and the oppressed, so no one would care,
If you see some white flesh, don't you dare.

There are loops and there are flaws,
Law is old and it has no claws.

It will be fun as it will get dark,
Only few will fight and rest will lark.

There will be an odd candle and it will glow,
World will not stop and life will flow.

They are coward and they are duds,
They don't even care to crush a few buds.

Someday, they will repay for their sins,
they will sulk and rot in the bins.

We all just wish and we all just pray,
Sinful souls will repay and their nerves will fray.

Wednesday, May 19, 2010

सुबह

सुबह सुबह, आदमी प्रस्सन्न रहने की कोशिश में रहता है. सोचता है दिन भर को झेलने के लिए सुबह की एक कप चाय, बीवी के साथ प्यार के दो बोल, उसकी दिल को खिला देने वाली एक मुस्कराहट और ताज़ी ताज़ी खबरों से लदा हुआ अखबार, दिन को खुशुनुमा बनाये रखने का रामबाण नुस्का है . तो १२० करोड़ लोगो की सुबह कुछ इस तरह ही शुरू होगी. अब आप ललचा रहे होंगे हमारी गलती निकालने के लिए की १२० करोड़ तो पूरी जनसँख्या है, इसमें औरत, बच्चे और बुजुर्ग भी तो शामिल होंगे. तो साहब, जब इस देश में शेरो के अलावा किसी और को परिवार नियोजन की नहीं पड़ी, तो फिर हम क्यों एक सही संख्या को जानने परेशानी मोल ले.
तो एक आम आदमी, सुबह के उन तेजी से फिसलते हुए लम्हों को पकड़ने की पुरजोर कोशिश करता है. कभी नहाने में देरी करना, तो कभी न्यूज़ सुनने की ललक, ये सब, घर के सुरक्षित माहोल से बाहर के जंगल की और जाने से बचने की कोशिश नहीं तो और क्या है.
उसे पता होता है की एक बार बाहर कदम पड़े तो उसे किसी चीज़ का ध्यान नहीं रहेगा और रहा भी तो लोग उसे ज्यादा देर विचार मुद्रा में रहने नहीं देंगे.
चाहे कितनी ही मुश्किल में हो, चाहे कितनी ही विकत और जटिल समस्याएं अपना ताड़का रुपी मूह फैलाये कड़ी हो, ये सुबह के कुछ पल, इस आम आदमी को कुछ सुकून के पल प्रदान करते है, उसे उर्जा देते है तमाम परेशानियों से जूझने की और उन पर विजय प्राप्त करने की.
सुबह सुबह यही सदविचार न जाने कितने ही लोगो के मन में घर कर जाता है की ज़िन्दगी इतनी बुरी भी नहीं की इसे आधा छोड़ दिया जाए और इतनी मजबूर भी नहीं की इसे पैमानों में तौल दिया जाए.