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Wednesday, May 20, 2009

परीक्षा परिणाम

कुछ साल पहले की बात है, सोचने बैठो तो लगता है जैसे कई सदिया बीत गई हो। किस्सा उस वक्त का है जब किस्सी भी घर में आधुनिक यांत्रिकी उपकरण के नाम पर कैलकुलेटर पाया जाता था। कैलकुलेटर के बड़े भाईसाब कंप्यूटर तब किसी बड़े अफसर के केबिन की शोभा बढाया करते थे। कभी कही कंप्यूटर दिख जाता था तो आम आदमी की साँसे तेज हो जाती थी।

उस ज़माने में अगर कोई कंप्यूटर का नाम लेके कोई बात करता था तो आस पड़ोस के हलके में उसका मान चोगुना हो जाया करता था।हर मुह्हल्ले में किसी के मामा या किसी के मामा का लड़का विदेश में हुआ करता था और उस घर की और मुहले के बाकी घर एक विशेष आदर भाव के साथ देखा करते थे और मुहल्ले के अहम् फैसलों में इस घर के मुखिया द्वारा दी गई राय का खास वजन हुआ करता था।

तो ऐसे ही समय में हमने हाई स्कूल की परीक्षा पास करने की चेष्टा की। तब परीक्षा परिणाम हमारे शहर के एक शासकीय कार्यालय में घोषित हुआ करता था और इन्टरनेट नामक क्रान्ति अभी तक हमारे देश और प्रदेश को छूकर नही गुजरी थी।
जो लिस्ट उत्तीर्ण परीक्षार्थियों का नाम लिए होती थी, वो चंद खुशनसीब आंखों के अलावा कोई और नही देख पाता था और उसी लिस्ट की प्रतिलीपिया कुछ बिचोलियों के पास उपलब्ध रहती थी। प्रति परिणाम ५ रुपये। एक जगह हमे प्रथम श्रेणी में बताया गया तो दूसरी जगह हमारा रोल नम्बर नदारद बताया गया। हमारे पूरे कुनबे के हितेषी लोग बड़ी आशा लिए सभी जगह हमारा रोल नम्बर ढूंढ रहे थे। काफी दौड़ धुप के बाद जब सब आश्वस्त हो गए की हम वाकई उत्तीर्ण हो चुके है, तब सभी रिश्तेदारों ने हमे खुश होने का अवसर प्रदान किया।

आज जब कंप्यूटर पर एक क्लिक करके, परीक्षार्थी के भविष्य का फ़ैसला हो जाता है, हमे अपने परिणाम को जानने के लिए की गई जद्दो जहद याद आ जाती है।

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