Do you Heart EzineArticles.com, too?

Tuesday, May 26, 2009

नेताजी

जीत गए हम जीत गए के नारे वो लगवाते है,
भारत के विकास की आस हमे दिलाते है।

भोली जनता, समझे सब पर बेबस ही रह जाती है,
अपने मत का प्रयोग कर, ताकत पर इठलाती है।

जनता को नही चाह उन सतरंगी सपनो की, जो नेता उसे दिखलाते है,
चिंता है उसको भूखे बच्चो की जो रोटी को चिलाते है।

किसान कहे बीजली मुझसे नज़रें क्यों चुराती है,
और मेरे सूखी किस्मत में, आने से डर जाती है।

इस धरा का यह बेटा, अपनी मेंहनत से सोना उगाता है,
और कर्जे के बोझ से मारा, भूखा ही सो जाता है।

नेता बोले सभी योजनाये अब हमारे टेबल पर है,
और देश की इकोनोमी एकदम टॉप क्लास लेवल पर है,

खुश होकर, में चिलाया, नेताजी तो भगवान् है,
तेरे मेरे, हम सब की नैया के खेवनहार है।

सपना टूटा, टूट गया दिल, जब हमने यथार्त में ख़ुद को पाया,
मेरी इक शंका को, नेता के चमचो ने बड़े प्यार से बहलाया।

चमचे बोले , तुम व्यर्थ में क्यों चिलाते हो,
नेता जी तो बाहुबली है, तुम क्यों अपना खून जलाते हो।

हमने मौके को भापते हुए, अपना मुह बंद किया,
और पड़े जो दो चार जूते, तो ख़ुद को समझो धन्य किया।

इस नेता की खातिरदारी से हमने ये महसूस किया,
की चलता है तो चलने दो कहने का समय अभी चला गया।

इस रोष को सींच कर, वृक्ष हम बना देंगे, दिवार पर लिखी लिखाई को धता हम बता देंगे,
बढेगा ये देश, इसमे कोई दो राय नही, नेताजी को पॉलिटिक्स का मतलब हम सिखा देंगे।

.... सिद्धार्थ

No comments: